sidh kunjika No Further a Mystery
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श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तर शतनामावलिः
न सूक्तं नापि ध्यानम् च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
यस्तु कुञ्जिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत् ।
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
छठ की व्यापकता में पोखर तालाब से टूटता नाता
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श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ परम कल्याणकारी है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र आपके जीवन की समस्याओं और विघ्नों को दूर करने के लिए एक शक्तिशाली उपाय है। मां दुर्गा के इस स्तोत्र का जो मनुष्य विषम परिस्थितियों में वाचन करता है, उसके समस्त कष्टों का अंत होता है। प्रस्तुत है श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के लाभ